इस साल खरीफ की शुरुआत से ही किसान परेशान हैं। जब किसानों को फसलों की बोआई और रोपाई करनी थी तो बारिश नहीं हुई। इस वजह से 96 लाख के सापेक्ष सिर्फ 93 लाख हेक्टेअर में ही बोआई हो पाई। बोआई के बाद भी अगस्त तक सूखे जैसे हालात रहे। किसान सूखा घोषित करने की मांग कर रहे थे। सरकार ने सूखे का सर्वे भी करवाया। इस दौरान भी करीब 12 लाख हेक्टेअर फसल प्रभावित होने का अनुमान था। किसानों ने किसी तरह बची हुई फसल को अपने संसाधन से सिंचाई करके तैयार किया तो सीजन के अंत में भारी बारिश हो गई। ये वह मौसम था, जब ज्यादातर फसलें पककर तैयार थीं। काफी किसानों ने तो फसल की कटाई शुरू कर दी थी। खेतों में ही कटी हुई फसल बर्बाद हो गई।
सीएम ने दिए थे सर्वे के आदेश
मुख्यमंत्री ने बारिश और बाढ़ से फसल की हुई बर्बादी की भरपाई करने का भरोसा दिलाया। अफसरों को नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने के आदेश भी दिए। तब से सभी जिलों में टीमें सर्वे कर रही हैं। जिलाधिकारियों के जरिए जिलेवार सर्वे रिपोर्ट भेजी जा रही हैं। अब ज्यादातर जिलों की रिपोर्ट आ चुकी हैं। कुल 36 जिलों में फसलों की बर्बादी और उसके एवज में मुआवजे की डिमांड आ चुकी है। इस बारे में राहत आयुक्त प्रभु एन. सिंह का कहना है किसानों को जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई की जाएगी। जिलों से आई डिमांड का परीक्षण कर मुआवजा राशि भेजी जा रही है। ज्यादतर जिलों में सर्वे का काम हो चुका है। बाद में भी यदि कुछ जिलों से डिमांड आती है, तो मुआवजा राशि भेजी जाएगी।