sharad purnima 2022 date time pujan vidhi shubh muhrat upay remedies

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शरद पूर्णिमा, कोजागरी और स्नान दान पूर्णिमा नौ अक्तूबर यानी रविवार को होगी। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय ने बताया कि आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को यह व्रत और पूजन करना चाहिए। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं।

पं. राकेश पांडेय ने बताया कि इस साल शनिवार की रात 3:30 के बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होकर रविवार की अर्द्धरात्रि 2:24 तक रहेगी। निर्णय सिन्धु के मतानुसार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा में पूरे दिन पूर्णिमा तिथि और रात्रि में मिलती है। उसी दिन रात्रि में कोजागरी व शरद पूर्णिमा का पूजन और खुले आसमान में खीर बनाकर रखना चाहिए। अतः रविवार को ही शरद पूर्णिमा व स्नान दान पूर्णिमा है।

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छत पर जालीदार कपड़े से ढककर रखें खीर

  • ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय बताते हैं कि धर्मशास्त्रानुसार रात्रि काल के प्रथम प्रहर में खुले आकाश में भगवान कृष्ण का आवाह्न कर उनका षोडशोपचार पूजन करके गाय के दूध में मेवा आदि डालकर पायस (खीर) का निर्माण करें। उसमें भगवान का भोग लगाएं। उस पात्र को किसी जालीदार कपड़े से ढककर रख दें। शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा की शीतल रश्मियों से अमृत की वर्षा होती है जो उस पायस (खीर) में समाहित हो जाती है। रात्रि के दूसरे प्रहर के अंत तक भगवान विष्णु का कीर्तन, भजन करें। बाद में भगवान को विश्राम मुद्रा में रखकर स्वयं भी शयन करें। प्रातः काल सूर्योदय के पूर्व उस पायस रूपी प्रसाद को स्वयं ग्रहण करें। धर्म शास्त्र के अनुसार उस अमृत रूपी प्रसाद को ग्रहण करने वाला व्यक्ति चिरंजीवी होता है। इसे कोजागरी व कौमुदी व्रत से भी जाना जाता है।

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