- Hindi News
- Jeevan mantra
- Dharm
- Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Story Of Ghanshyamdas Birla, Gd Birla Motivational Story In Hindi
7 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
- कॉपी लिंक

कहानी – घनश्यामदास बिरला से जुड़ा प्रसंग है। वे अपनी कार में बैठकर कहीं जा रहे थे। बिरला जी का एक-एक मिनट बहुत मूल्यवान था। एक नदी के किनारे बहुत भीड़ लगी हुई थी और लोग चिल्ला रहे थे। उन्हें समझ आ गया था कि कोई नदी में डूब रहा है और उसे बचाने के लिए कोई तैयार नहीं है।
बिरला जी ने कार रुकवाई और नदी किनारे पहुंचे तो वहां एक युवक डूब रहा था। वे तैरना जानते थे, उन्होंने जूते उतारे और कपड़े उतारने का समय नहीं था तो वे ऐसे ही नदी में कूद गए और उस युवक को नदी से बाहर निकाल लाए। उसकी चिकित्सा हुई और वह व्यक्ति बच गया।
डूबते व्यक्ति का अस्पताल में इलाज करवाकर वे अपने दफ्तर लौटे। दफ्तर के लोगों को सूचना मिल चुकी थी। बिरला जी के कपड़े गिले थे। लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ।
घनश्यामदास जी समझ गए कि ये सब मुझसे पूछना चाहते हैं कि मैंने ऐसा क्यों किया? उन्होंने दफ्तर के लोगों से कहा, ‘जान से मूल्यवान कुछ भी नहीं होता है। किसी मरते हुए इंसान को बचाना हमारा कर्तव्य होता है। मुझे ऐसा लगा कि जो लोग उस डूबते युवक को देख रहे थे उन्हें या तो तैरना नही आता है या फिर वे नदी में कूदने से डर रहे थे। मैं तैरना जानता था। इसलिए भगवान का नाम लेकर नदी में कूद गया और उस युवक को बचा लिया।’
सीख – व्यस्त से व्यस्त व्यक्ति को भी जीवन के कुछ अर्थ अलग ढंग से समझना चाहिए। अगर कभी किसी की जान बचाने का अवसर मिले तो सब काम छोड़कर सबसे पहले उसे बचाना चाहिए, क्योंकि किसी के जीवन से बढ़कर कुछ भी मूल्यवान नहीं है।