हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पहली बार ऐसी बगावत, अनुराग के आंसू भी डैमेज कंट्रोल में फेल | Himachal Assembly Elections 2022: Rebellion for the first time in Hamirpur parliamentary constituency, different meanings of Anurag Thakur Emotional Moment

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विक्रम ढटवालिया, हमीरपुर15 मिनट पहले

17 विधानसभा सीटों वाले हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा में पहली बार ऐसी बगावत देखने को मिली है कि पार्टी के दिग्गज नेता ‘अपनी-अपनी गेम’ में ही उलझ कर बुरी तरह फंस गए हैं। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के आंसू भी डैमेज कंट्रोल नहीं कर पा रहे।

पार्टी कार्यकर्ता भी ‘बेबसी’ का शिकार हुए
वहीं टिकट आवंटन ने यहां कार्यकर्ताओं को भी ‘बेबसी’ का शिकार बना दिया है। कई क्षेत्रों में वर्कर्स ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है तो कई जगह ‘खामोशी’ के आलम में उनका खो जाना स्वाभाविक दिखता है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन से जुड़े हुए कई नेता इसी संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन उम्मीदवारों की मनमर्जी की अदला-बदली न केवल वर्कर्स के लिए मुसीबत बन चुकी है, बल्कि इस बात की ‘लाइन’ भी दिखा रही है कि इनकी आगामी लोकसभा और वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कोई न कोई पटकथा इन्हीं चुनावों की रणनीति से तैयार हो जाएगी।

भीतरी व्यवस्था में भी गुटबाजी का खोट
बता दें कि हमीरपुर जिले की 5 विधानसभा सीटों में हमीरपुर, बड़सर, हमीरपुर, भोरंज और नादौन की भीतरी व्यवस्था में गुटबाजी ‘अपनी डफली अपना राग’ अलापने की वजह से जिस तरह से फल फूल गई है, उसका असर तो कहीं न कहीं चुनाव में अब दिखना शुरू हो गया है।

बड़सर में बगावती तेवर टिकट आवंटन के साथ ही शुरू हो गए थे। यहां पहले से ही खेमेबाजी जोरदार तरीके से चल रही थी और अब भाजपा ने परिवारवाद के भीतर ही टिकट को वर्कर्स पर थोप कर जो माहौल तैयार कर दिया है, उससे पिछले लगातार 2 चुनाव में पार्टी के नेता हालात देख चुके हैं। अबकी बार बड़सर की राजनीति कई गुटों में बंटी हुई है। अब यहां डैमेज कंट्रोल होगा तो होगा कैसे? इसी पर निगाहें टिकी हुई हैं।

भोरंज में सिटिंग विधायक कमलेश कुमारी का टिकट कटने से भी पार्टी का कुनबा निश्चित रूप में बंट गया है। धूमल और जयराम ठाकुर के गुट अपने-अपने हिसाब की राजनीति पर सवार हैं। यहां पर पवन कुमार की बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मौजूदगी भी भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर अनिल धीमान के लिए डैमेज कंट्रोल में निश्चित रूप में पार्टी को उलझाएगी।

नादौन में अंदर खाते भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाला एक गुट भी शुरू से ही हावी रहा है। अबकी बार उसकी जड़ें हरी हो पाएंगी या नहीं? वह नेताओं की डैमेज कंट्रोल की जो नीति यहां बनी है, उस पर निर्भर करेगी।

हमीरपुर में भी अंदरूनी तौर पर भाजपा का कुनबा नेताओं के आशीर्वाद से खेमे बाजी में उलझा हुआ है। यही स्थिति बिलासपुर जिला में भी है, जहां संगठन पर सवार लोगों को उम्मीदवार बनाया गया तो कई जगह परिवारवाद से जुड़े हुए नेता असर दिखाने लगे हैं।

बिलासपुर सदर में पार्टी प्रत्याशी त्रिलोक जमवाल के लिए सिटिंग विधायक सुभाष शर्मा की मौजूदगी मुंह फुला कर खड़ी हो गई है।

घुमारवीं में राकेश चोपड़ा अब ‘आप’ पर सवार हो गए हैं। निश्चित रूप में यहां पर भी गुटबाजी का पुराने हिसाब से प्रभाव पार्टी प्रत्याशी राजेंद्र गर्ग के लिए चिंता बना हुआ है।

झंडुता में भी दिवंगत रीखी राम कौंडल का बेटा पार्टी के खिलाफ इस चुनाव में निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ता है तो दिक्कतें पेश आएंगी।

ऊना जिले में भी 2 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी डैमेज कंट्रोल पर जुट गई है, लेकिन देहरा उपमंडल में पार्टी का कुनबा इस समय नेताओं की अदला-बदली की वजह से इधर-उधर बिखरा हुआ है। अभी वहां के हालात पार्टी के लिए ‘डैमेज कंट्रोल’ की दशा दिशा देख रहे हैं।

जिताने वाले नेता यहां कम दिख रहे

दरअसल, पार्टी के नेता ही अब पार्टी उम्मीदवारों के लिए संकट बन चुके हैं। वर्कर इस बात को भी महसूस कर रहे हैं कि जिताने वाले नेता यहां कम दिख रहे हैं, लेकिन हराने वालों की संख्या ज्यादा हो गई है।

हालांकि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर शुक्रवार को पार्टी प्रत्याशियों के नामांकन के मौके पर कई जगह गए, लेकिन सुजानपुर में वे राजनीति के नए और मौजूदा हालात के भीतर खुद को पाकर, जिस तरीके से न केवल खुद रोए और वर्कर्स को भी उन्होंने रुलाया, उसके मायने जानकार अपने अपने हिसाब से लगा रहे हैं।

हालांकि सीधा-सीधा मतलब तो यही था कि सुजानपुर सीट से कैप्टन रणजीत सिंह ठाकुर का नॉमिनेशन भरने के मौके पर धूमल की कमी निश्चित रूप में न केवल अनुराग ठाकुर को समझ आ रही थी, बल्कि कार्यकर्ता भी खुद को उहापोह की स्थिति में पा रहे थे।

इमोशनल क्यों हुए अनुराग?
यह पहला मौका नहीं था कि अनुराग ठाकुर बेहद इमोशनल होकर रोने पर मजबूर हो गए हों। ऐसे मौके पहले भी कई बार आए हैं। जब वे रुंधले हुए और वर्कर्स में भी अलग तरह का माहौल बनाने में कामयाब हुए हैं।

जो भी हो पार्टी के लिए हमीरपुर संसदीय सीट के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में गुटबाजी की वजह से हालात गुदगुदाने वाले नहीं हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर हमीरपुर पहुंच चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी घर तो पहुंच गए हैं, लेकिन चुनाव प्रचार में उनकी सक्रियता कितनी और कहां होगी, इस पर अब चर्चा होने लगी है।

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