सही निर्णय ही जीवन और करिअर में सफलता की पहली सीढ़ी है | Right decision is the first step to success in career

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16 मिनट पहले

‘अच्छाई और बुराई दोनों चक्रवृद्धि ब्याज पर बढ़ती हैं। इसलिए आप और मैं हर दिन जो छोटे-छोटे निर्णय लेते हैं, वे इतने महत्व के होते हैं।’

– क्रॉनिकल्स ऑफ नार्निया के लेखक, सी एस लुईस

करिअर फंडा में स्वागत!

आपके निर्णय आपका भविष्य

इंसान निर्णय लेता है, और फिर ये ही इंसान को बनाते हैं। कई लोग सही डिसीजन लेने की प्रोसेस, और डिसीजन लेने में होने वाले गलतियों पर एनालिसिस चाहते हैं। मेरे जीवन की सीख मैं आपसे आज शेयर करता हूं।

1) हम जीवन में रोज छोटे से लेकर बड़े डिसीजन लेते हैं, जैसे आज सुबह एक्सरसाइज करें या न करें, कौन से कलर और डिजाइन के कपड़े खरीदें, कौन सा जॉब जॉइन करें, किसे अपना जीवनसाथी बनाएं, कहां रहें और बसें इत्यादि।

2) ये डिसीजन्स हम अपने पूर्वाग्रहों, तर्क, उपलब्ध जानकारी, इमोशंस और यादों से प्रभावित होकर लेते हैं।

3) जो भी डिसीजन हम लेते हैं वे अपने तय रिजल्ट के साथ लौट आते हैं। उदाहरण के लिए सुबह उठ कर (या दिन में) एक्सरसाइज नहीं करने से हमें पता है क्या होगा फिर भी हम अनेकों बार गलत डिसीजन लेते ही हैं।

मैं क्या करूं? मैं ये करूं या वो करूं? करूं या नहीं करूं?

कई लोग डिसीजन-मेकिंग की प्रोसेस से घृणा करते हैं क्योंकि उन्हें एक ऑप्शन चुनना बहुत कठिन लगता है।

निर्णय लेने में अक्सर सैक्रिफाइस या कुछ लेने पर कुछ छोड़ना शामिल होता है – कुछ ऐसा जो कुछ लोगों के लिए असहनीय हो सकता है। लेकिन यही सत्य है।

उदाहरण के लिए आप एक रेस्टोरेंट में जाते हैं और आपके दिमाग में डोसा और मंचूरियन दो में से कोई एक डिश ऑर्डर करने का ख्याल आता है। आप मंचूरियन ऑर्डर तो कर देते हैं, लेकिन सोचते डोसा के बारे में रहते हैं, कि यदि मैं डोसा ऑर्डर करता तो कैसा होता। आप खा अपनी प्लेट से मंचूरियन होते हैं, लेकिन आपका ध्यान डोसे पर होता है। इसे मैनेजमेंट भाषा में ओपोर्चुनिटी कॉस्ट भी कहते हैं और अपने मन को कंट्रोल कर समझाने के अलावा, दूसरा कोई तरीका नहीं।

कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना

कन्फ्यूज होने और दुखी होने का एक और कारण दूसरों की राय से अत्यधिक चिंतित या अधिक निर्भर होना है।

कई लोगों के लिए दूसरों से पूछे बिना व्यक्तिगत डिसीजन लेना भी मुश्किल है और उनके बेहद निजी निर्णय भी उनके आसपास के लोगों की एक समिति लेती है! ऐसे लोग अकेले में अनेकों बार गलत निर्णय ले बैठते हैं।

सही डिसीजन मेकिंग के लिए 5 पावर टिप्स

1) अंदर की आवाज सुनें: किसी भी निर्णय को करते वक्त सबसे पहले अपने ‘अंतर्मन’ की आवाज सुनना चाहिए। इस आधार पर लिए गए निर्णय लॉन्ग-टर्म में अक्सर सही होते हैं, खास तौर निजी जीवन के बड़े फैसले जैसे, शादी, नौकरी, करिअर इत्यादि। याद रखें, अपना पूरा जीवन आपको अपने साथ ही जीना है। Lesson- Hear your inner voice

2) अंदर की आवाज का विश्लेषण: अब अपने ‘अंदर की आवाज’ का विश्लेषण या एनालिसिस पूरी निर्ममता से करें। अपने आप का एनालिसिस कर के पूछें कि मेरा ये सोचना ऐसा क्यों हैं, मैं ऐसा क्यों चाहता हूं आदि। यदि पिछले एक्सपीरियंस से आगे का निर्णय ले रहे हैं तो क्या एक्सटर्नल सिचुएशन वैसी ही है अब भी? Lesson- Analyse your inner voice

3) उपलब्ध जानकारी की कसौटी: अब अपने निर्णय को उपलब्ध इनफॉर्मेशन की कसौटी पर चेक करें। उदाहरण के लिए यदि कोई शाहरुख खान की सफलता को मिसाल मानकर ये समझे कि वह भी बॉलीवुड में सफल हो जाएगा तो उसे पहले एक सफल उदाहरण के साथ सैकड़ों असफल उदाहरणों पर भी विचार करना चाहिए। Lesson- Use all possible information

4) जल्दी ना करें: गलत निर्णय होने का एक बड़ा कारण जल्दबाजी होता है, तो अनावश्यक जल्दबाजी न करें और पूरा समय देकर सोच-समझ कर, ठोंक-बजाकर निर्णय लें। Lesson: Never rush decisions

5) अपना डिसिशन ‘ओन’ (own) करें

बहुत बुरा होता है जब लोग डिसीजन तो खुद लेते हैं, लेकिन फेल होने पर किसी और पर ठीकरा फोड़ने लगते हैं। ये कमजोर चरित्र की निशानी है। चाहे जो हो जाए, अपना डिसिशन ‘फुल्ली ओन’ करें। Lesson- Own your calls

उम्मीद करता हूं मेरे अनुभव उपयोगी साबित होंगे।

तो आज का करिअर फंडा यह है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया को सरल रखें, खूब सोचें, इनफॉर्मेशन यूज करें, सुनें सबकी और अपना डिसीजन खुद लेकर उसकी ओनरशिप लीजिए।

कर के दिखाएंगे!

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