सुजीत मुंडा नेत्रहीन क्रिकेट की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक इन्होंने कई क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। इनके बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए टीम में जगह मिलता रहा। 2018 से अब तक उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपनी शानदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी से सबको हैरान कर डाला है। सुजीत मुंडा अभी तक दुबई, यूएसए, बांग्लादेश और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में अपने क्रिकेट का जलवा दिखा चुके हैं।
खास बात यह है कि सुजीत एथलेटिक्स के भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। वर्ष 2014 से पहले एथलेटिक्स में ही अपना जलवा दिखा रहे थे। साल 2005 से 2011 तक इन्होंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। बाद में क्रिकेट के प्रति अधिक रुझान को देखते हुए उन्होंने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया और क्रिकेट में अपना सितारा चमकाने लगे।
सामान्य क्रिकेट मैच से बिल्कुल अलग
नेत्रहीन क्रिकेट टूर्नामेंट के संबंध में अपने अनुभव को साझा करते हुए सुजीत मुंडा बताते हैं कि यह मैच सामान्य क्रिकेट मैच से बिल्कुल अलग होता है। बॉल की खास आवाज पर खिलाड़ी बैटिंग करते हैं। कई मौकों पर इन्हें विकेटकीपर की सलाह भी लेनी पड़ती है।
सुजीत मुंडा का पूरा जीवन संघर्ष से भरा
वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की ओर से चयनित सुजीत मुंडा का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है। मां के प्रयास से इन्होंने रांची के ही नेत्रहीन विद्यालय में पढ़ाई लिखाई की। अब उनकी मां भी गुजर चुकी हैं। सरकारी जमीन पर जैसे-तैसे एक कमरे का झोपड़ी बनाकर वह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। नेत्रहीन होने के कारण उन्हें आने जाने में भी किसी न किसी का सहारा लेना पड़ता है। पैसे के अभाव के कारण अपने खानपान पर भी ध्यान नहीं दे पाते हैं।
पत्नी भी है नेत्रहीन
सुनकर तब और हैरानी हो जाती है जब यह पता चलता है कि उनकी पत्नी अनीता तिग्गा भी नेत्रहीन है। किसी जमाने में वह भी एथलेटिक्स की जानी मानी हस्ती हुआ करती थी। फिलहाल वे घर में अपने पति दो बच्चों और ससुर का देखभाल करती हैं।
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संघर्ष भरे रास्ते पर चल रहे सुजीत मुंडा और उनका पूरा परिवार जीवन के लक्ष्यों को पाने में जुटा हुआ है। महेंद्र सिंह धोनी के शहर में और भी चेहरे अपना सितारा बुलंद करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। जरूरत है उन्हें मदद देने की।