देवताओं और दानवों ने मिलकर किया था समुद्र मंथन और निकले थे 14 रत्न, सभी रत्न बताते हैं सफलता के सूत्र | kartika amawasya on 24th October, dhanteras on 22rd and 23rd October, facts about samudra manthan, diwali 2022, deepawali facts

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एक घंटा पहले

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इस साल पंचांग भेद की वजह से 22 और 23 अक्टूबर को धनतेरस है। 23 को ही रूप चौदस और 24 को दीपावली है। दीपावली पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व है। कार्तिक मास की अमावस्या पर समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी की उत्पत्ति हुई थी। इसी समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उस दिन कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि थी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक पौराणिक कहानी है कि महर्षि दुर्वासा के शाप से स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वैभव, समृद्धि जैसी सभी शुभ बातें खत्म हो गई थीं। उस समय सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे। विष्णु जी ने देवताओं से कहा कि असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करें। समुद्र मंथन से दिव्य रत्न निकलेंगे, अमृत निकलेगा, अमृत का सेवन जो करेगा, वह अमर हो जाएंगा।

ये बात देवताओं ने असुरों के राजा बलि को बताई। राजा बलि भी अमृत और दिव्य रत्नों की बात सुनकर समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। समुद्र मंथन के लिए वासुकि नाग की रस्सी बनाई गई और मदरांचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथना शुरू किया। मंथन से कुल 14 मुख्य रत्न निकले थे। मंथन के अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

ये है समुद्र मंथन का संदेश

समुद्र मंथन की कथा का संदेश ये है कि बुरे विचारों को दूर करने के लिए हमें अपने मन को मथना चाहिए। जब हम मन का मंथन करते हैं तो सबसे हलाहल विष के जैसी बुरी बातें निकलती हैं। शिव जी ने हलाहल विष अपने कंठ में धारण किया, उसे नीचे नहीं उतरने दिया था, इसका संदेश ये है कि हमें भी बुरी बातों को मन में नहीं उतरने देना चाहिए। बुराइयों को जल्दी से जल्दी बाहर कर देना चाहिए।

समुद्र मंथन में कुल 14 रत्न निकले थे। इन सभी रत्नों में जीवन प्रबंधन के सूत्र भी सीख सकते हैं। इन सूत्रों को अपनाने से हमारे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। जानिए समुद्र मंथन में कौन-कौन से रत्न निकले थे और उनका क्या संदेश है…

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