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11 घंटे पहले
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार (7 अक्टूबर) को डिजिटल करेंसी पर कॉन्सेप्ट पेपर जारी कर दिया है। सेंट्रल बैंक ने कहा कि वह जल्द ही पायलट ई-रुपया लॉन्च करेगा।
सेंट्रल बैंक ने स्टेटमेंट में कहा, “इस कॉन्सेप्ट नोट को जारी करने के पीछे का उद्देश्य CBDC के बारे में सामान्य रूप से जागरूकता करना है। इसके अलावा इस नोट के जरिए विशेष रूप से डिजिटल रुपए (e₹) के प्लान्ड फीचर्स के बारे में भी जागरूकता पैदा करना है।’
सेंट्रल बैंक ने आगे कहा, ‘यह नोट भारत में CBDC जारी करने के उद्देश्यों, विकल्पों, लाभों और जोखिमों की व्याख्या करता है। इसके जरिए CBDC की शुरूआत के प्रति रिजर्व बैंक के दृष्टिकोण की व्याख्या करने का भी प्रयास किया गया है।’

रिजर्व बैंक e₹ का पायलट लॉन्च शुरू करेगा
RBI ने कहा, ‘रिजर्व बैंक जल्द ही विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए e₹ का पायलट लॉन्च शुरू करेगा। जैसे-जैसे इस तरह के पायलट लॉन्च का विस्तार और दायरा बढ़ेगा, RBI समय-समय पर e₹ की विशिष्ट विशेषताओं और लाभों के बारे में बताएगा।’
मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी e₹ की वैल्यू
रिजर्व बैंक मोटे तौर पर CBDC को एक डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी लीगल टेंडर के रूप में परिभाषित करता है। यह सॉवरेन पेपर करेंसी के समान है, लेकिन इसका एक अलग रूप है।
e₹ यानी डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी। इसको भी फिजिकल करेंसी की तरह ही एक्सेप्ट किया जाएगा। CBDC केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर लायबिलिटी के रूप में दिखाई देंगे।

क्या CBDC अन्य डिजिटल पेमेंट्स से ज्यादा अच्छा है?
मान लीजिए आप एक UPI सिस्टम से अपने बैंक अकाउंट के बजाय CBDC से लेनदेन करते हैं। इसमें कैश को हैंड ओवर करते ही इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत नहीं रह जाती। इससे पेमेंट्स सिस्टम से लेनदेन ज्यादा रियल टाइम में और कम लागत में होगा। इससे भारतीय आयातक बिना किसी बिचौलिए के अमेरिकी निर्यातक को रियल टाइम में डिजिटल डॉलर का भुगतान कर सकेंगे।
क्या डिजिटल करेंसी आम लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगी?
डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। जैसे UAE में एक वर्कर को सैलरी का 50% हिस्सा डिजिटल मनी के रूप में मिलता है। इससे ये लोग अन्य देशों में मौजूद अपने रिश्तेदारों को आसानी से और बिना ज्यादा शुल्क दिए पैसे भेज सकते हैं।
वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि अभी इस तरह दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7% से अधिक का शुल्क चुकाना पड़ता है, जबकि डिजिटल करेंसी के आने से इसमें 2% तक की कमी आएगी। इससे लो इनकम वाले देशों को हर साल 16 अरब डॉलर (1.2 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा पैसे मिलेंगे।
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