5 घंटे पहले
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अगली महामारी किसी चमगादड़ या जानवर से नहीं, बल्कि दुनियाभर में पिघल रही बर्फ से आ सकती है। यह दावा प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी: बायोलॉजिकल साइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में किया गया है। दरअसल क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) की वजह से लगातार ग्लेशियर्स की बर्फ घट रही है, जिसके चलते इसमें जमे वायरस-बैक्टीरिया उजागर हो सकते हैं।
विश्व में हो सकता है ‘वायरल स्पिलओवर’
वायरल स्पिलओवर एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वायरस को एक नया होस्ट मिलता है। होस्ट इंसान, जानवर, पौधे- कोई भी हो सकता है। वायरस होस्ट को संक्रमित करता है, जिससे महामारी फैलने की आशंका होती है। मिट्टी के जेनेटिक एनालिसिस से पता चला है कि दुनिया में तेजी से बर्फ पिघलने के कारण नए वायरस के फैलने का खतरा है।
आर्कटिक के तालाब से लिए गए सैंपल
वायरस दुनिया के हर कोने में हैं। इस रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने आर्कटिक सर्कल के सबसे बड़े तालाब लेक हेजन से सैंपल इकट्ठा किए। यह फ्रेशवॉटर लेक कनाडा में स्थित है। इसमें मिलने वाले आरएनए और डीएनए को अब तक मिले वायरस से मैच किया गया। रिसर्चर्स ने बताया कि ग्लेशियर जैसे-जैसे पिघलेंगे, वैसे-वैसे इनमें मौजूद वायरस बाहर आएंगे और हमें संक्रमित करेंगे।
रिसर्च में आर्कटिक के इलाके को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां की बर्फ दूसरे बर्फीले इलाकों के मुकाबले ज्यादा रफ्तार से पिघल रही है। यहां का तापमान ज्यादा गर्म है और वायरल स्पिलओवर की आशंका भी ज्यादा है।
तिब्बत के ग्लेशियर में मिले 33 वायरस
साल 2021 में एक स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने 33 वायरस की खोज की थी। ये पिछले 15 हजार साल से बर्फ में जमे थे। इनमें से 28 वायरस एकदम नए थे यानी इन्हें पहले कभी नहीं देखा गया था। ये सभी तिब्बत के ग्लेशियर से निकले थे। यह ग्लेशियर ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पिघल गया है।