केदारनाथ धाम के कपाट बृहस्पतिवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए लेकिन इससे पहले करीब छह माह के यात्रा सीजन में रिकॉर्ड 15 लाख, 63 हजार से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। रिकॉर्ड संख्या में पहुंचे तीर्थयात्रियों की बदौलत उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में संचालित महिला समूहों के व्यवसाय को भी नई ऊंचाइयां मिलीं और केदारनाथ यात्रा के दौरान उन्होंने करीब 48 लाख रुपये का व्यापार किया।
विभिन्न समूहों से जुड़ी इन महिलाओं ने बाबा केदारनाथ के लिए स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद तैयार करने के साथ ही अन्य स्थानीय उत्पाद की बिक्री भी की। साथ ही महिलाएं यात्रा मार्ग पर रेस्तरां, कैफे संचालित कर रही हैं।
रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि केदारनाथ धाम में दुनियाभर से आने वाले तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद एवं बाबा केदारनाथ के सोविनियर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही महिलाएं स्थानीय शहद, हर्बल धूप समेत कई उत्पाद तैयार कर रही हैं जो यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे ‘सरस’ रेस्तरां एवं ‘हिलांस’ कैफे में उपलब्ध हैं।
दीक्षित ने बताया कि जिला प्रशासन विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रयासरत है और करीब 20 महिला समूहों से जुड़ी महिलाएं यात्रा में योगदान देकर आत्मनिर्भरता की ओर सशक्त कदम उठा रही हैं।
केदारनाथ धाम में महिलाओं द्वारा तैयार प्रसाद का विपणन करने वाले व्यापारी अर्जुन कुर्मांचली ने बताया कि उन्होंने विभिन्न हेलीपैड एवं मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों को करीब 43 लाख रुपये का प्रसाद बेचा।
उन्होंने बताया कि प्रसाद के रूप में उनके पास जिले भर के करीब 20 महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार चौलाई के लड्डू, हर्बल धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग पहुंचते हैं। इसके अलावा, गंगा जल के लिए पात्र एवं मंदिर की भस्म भी ‘प्रसाद पैकेज’ का हिस्सा हैं जिसकी कीमत 250 रुपये निर्धारित की गई है। इसके अलावा, ऑनलाइन भी करीब एक लाख रुपये का प्रसाद बिका है।
प्रसाद के जरिए स्थानीय उत्पादों को भी बढावा मिला है। केदारनाथ प्रसाद उत्पादक फेडरेशन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह सजवाण ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने करीब 50 कुंतल चौलाई के लड्डू एवं चूरमा तैयार कर केदारनाथ में बेचा।
सजवाण ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने करीब 22 लाख रुपये के लड्डू एवं चूरमा बेचा और समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रतिदिन 300 रुपए मेहनताना देने के साथ ही समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया।